शुक्रवार, २९ नोव्हेंबर, २०१९

वक़्त के साथ बदल जाता है सब
छूट जाता है अधूरा सा कुछ
कुछ ऐसा ही कहते है ना लोग....
पर बदले हुए रास्तें कभी एक होंगे

किसी अनजान ऱाह पर सब भूला के  
अगर चाहोगे फ़िर से मिलना याद में
ये भी तो बता देते ना यार कभी....
तो एक अधूरी सी रही ख़ामोश तमन्ना
नई ऱाह बनके ख़ुदबख़ुद ढूंढ लेती मुझे


(स्वलिखित-by self) 
©️वर्षा_शिदोरे

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