मंगळवार, १२ नोव्हेंबर, २०१९

एक जरिया....

अहसास था शायद
रूलानेवालें छुपे दर्द का
पर यूँ ही बया करना
इतना आसान नहीं था
अफ़सोस था अनकहा सा
हमें कभी समझनेवाला
अब वक़्त के साथ ओ भी
काफ़ी बदल चुका था ना
अब तो बस यादे थी पास
जिन्हें  जिन्दा रखना था
खुद की ख़ुशी के लिए
मुश्किलें हल होने का
शायद बन जाये एक जरिया


(स्वलिखित-by self)  
©️वर्षा_शिदोरे

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