आसु ख़ुद से ख़फ़ा थे...
आसूओंका रिश्ता ग़हरा समुंदर सा
जल्द ही कर लेना चाहिए था
मीठे पानी का चुनाव वक़्त रहते
वरना देर होते ही नमकिन हो जाते
जिन्हे कोई पोंछनेवाला नहीं यहाँ
रिश्ता रह जाता है बस नाम का
यहीं तो वक़्त का सिलसिला था
नम आखों के आसूओंका
पर अब लफ़्ज़ भी ख़त्म हुए
लड़ते लड़ते ख़ुद के अपनोंसे
कम्बख़त वक़्त भी गुज़र गया
ख़ुद के आसु पोछते पोछते
ख़ुद ही हार गये अब ख़ुद से
ख़ुद से ही पराये हो गए फिर से
आसु तो बस जरिया था यादों का
असलियत में तो हम ख़ुद से ख़फ़ा थे
पर सिख लिया वक़्त के साथ
ख़ुद को एक नया जरिया दिया
मीठे पानी की आस रखना
पर कोई गिलेशिकवे ना रखना
चुनाव तो राहे ख़ुद ही कर लेगी
बस तुम हौसला रखना.....
आसूओंका रिश्ता ग़हरा समुंदर सा
जल्द ही कर लेना चाहिए था
मीठे पानी का चुनाव वक़्त रहते
वरना देर होते ही नमकिन हो जाते
जिन्हे कोई पोंछनेवाला नहीं यहाँ
रिश्ता रह जाता है बस नाम का
यहीं तो वक़्त का सिलसिला था
नम आखों के आसूओंका
पर अब लफ़्ज़ भी ख़त्म हुए
लड़ते लड़ते ख़ुद के अपनोंसे
कम्बख़त वक़्त भी गुज़र गया
ख़ुद के आसु पोछते पोछते
ख़ुद ही हार गये अब ख़ुद से
ख़ुद से ही पराये हो गए फिर से
आसु तो बस जरिया था यादों का
असलियत में तो हम ख़ुद से ख़फ़ा थे
पर सिख लिया वक़्त के साथ
ख़ुद को एक नया जरिया दिया
मीठे पानी की आस रखना
पर कोई गिलेशिकवे ना रखना
चुनाव तो राहे ख़ुद ही कर लेगी
बस तुम हौसला रखना.....
(स्वलिखित-by self)
©️वर्षा_शिदोरे
©️वर्षा_शिदोरे
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