शनिवार, १९ ऑक्टोबर, २०१९

इंसान के भावनाओंकी कैफ़ियत.......

किसी इंसान को इतनी समझने की कोशिश ना करो
की ओ ख़ुद को ही ना समझ सके

किसी इंसान को इतना ना परख़ो
की ओ ख़ुद के इम्तिहान बार बार लेता रहे

किसी इंसान से इतनी शिकायतें ना करो
की ओ ख़ुद पे ही शक़ करने लगे

किसी इंसान का इतना ना मज़ाक बनाओ
की ओ ख़ुद का ही एक दिन तमाशा बनाये

किसी इंसान की इतनी फ़िक्र ना करो
की ओ तुम पे पूरी तरह आश्रित हो जाये

किसी इंसान पे इतने सवाल ना उठाओ
की ओ सवाल करना ही भूल जाये

किसी इंसान के सामने इतना ना झुक जाओ
की ओ ना ख़ुद को ना ही तुम्हें अहमियत दे सके

इंसान की ये भावनाएं दब जाती है कभी
ऐसी की उनकी कैफ़ियत कभी कोई सुन ना पाए


(स्वलिखित-by self)
©️वर्षा_शिदोरे

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