इंसान के भावनाओंकी कैफ़ियत.......
किसी इंसान को इतनी समझने की कोशिश ना करो
की ओ ख़ुद को ही ना समझ सके
किसी इंसान को इतना ना परख़ो
की ओ ख़ुद के इम्तिहान बार बार लेता रहे
किसी इंसान से इतनी शिकायतें ना करो
की ओ ख़ुद पे ही शक़ करने लगे
किसी इंसान का इतना ना मज़ाक बनाओ
की ओ ख़ुद का ही एक दिन तमाशा बनाये
किसी इंसान की इतनी फ़िक्र ना करो
की ओ तुम पे पूरी तरह आश्रित हो जाये
किसी इंसान पे इतने सवाल ना उठाओ
की ओ सवाल करना ही भूल जाये
किसी इंसान के सामने इतना ना झुक जाओ
की ओ ना ख़ुद को ना ही तुम्हें अहमियत दे सके
इंसान की ये भावनाएं दब जाती है कभी
ऐसी की उनकी कैफ़ियत कभी कोई सुन ना पाए
किसी इंसान को इतनी समझने की कोशिश ना करो
की ओ ख़ुद को ही ना समझ सके
किसी इंसान को इतना ना परख़ो
की ओ ख़ुद के इम्तिहान बार बार लेता रहे
किसी इंसान से इतनी शिकायतें ना करो
की ओ ख़ुद पे ही शक़ करने लगे
किसी इंसान का इतना ना मज़ाक बनाओ
की ओ ख़ुद का ही एक दिन तमाशा बनाये
किसी इंसान की इतनी फ़िक्र ना करो
की ओ तुम पे पूरी तरह आश्रित हो जाये
किसी इंसान पे इतने सवाल ना उठाओ
की ओ सवाल करना ही भूल जाये
किसी इंसान के सामने इतना ना झुक जाओ
की ओ ना ख़ुद को ना ही तुम्हें अहमियत दे सके
इंसान की ये भावनाएं दब जाती है कभी
ऐसी की उनकी कैफ़ियत कभी कोई सुन ना पाए
(स्वलिखित-by self)
©️वर्षा_शिदोरे
©️वर्षा_शिदोरे
Awsome
उत्तर द्याहटवाथँक यु आश्विनी !
हटवा