शुक्रवार, २० सप्टेंबर, २०१९

सच में...हर किसी को नहीं मिल पाता ना
ख़ुद से ज्यादा कोई चाहनेवाला...
पर मज़बूरी से अच्छे तो उसूल ही सही है
हा....जरूर अधूरासा लगता होगा...
पर शायद अधूरा होना ग़लत नहीं होता
बस...अधूरे तो लफ्ज़ होते है...
जो बया करने का जरिया नहीं बन पाते 

(स्वलिखित-by self)
©️वर्षा_शिदोरे   

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