बुधवार, २५ सप्टेंबर, २०१९

वैसे...केहने को तो 
आँसू आखों मे है
पर रो तो दिल रहा है
ऐसा लगने लगा है...
लाख़ कोशिशों के बावज़ूद
बरसों पुराने ज़ख्म
अब गिले होने लगे है
ना चाहते हुए भी
हमारे अपने हमें
और हम अपनों को
अब रुलाने लगे है...


(स्वलिखित-by self)
©️वर्षा_शिदोरे  

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