कुछ मेरे बारेमें ही सहीं.....
मुझे अकेला रेहना सबसें ज्यादा पसंद था
किताबें मेरे सबसे अच्छे और सच्चे दोस्त हुआ करते थे
पुराणी हो गई अब ये बातें.....
क्योंकि उन किताबोंके साथ-साथ नए रिश्ते जो मिले मुझे
'दोस्ती'.....बिलकुल मेरे किताबोंके ख्वाबों जैसी
किसने किसको चुना ये मायने नहीं रख़ता अब
दोस्ती कितनी गहरी.....ये जानना उतना ज़रूरी नहीं
जितना किसी दोस्त का जिंदगी में होना ही सुकून दे
जो बातें कभी घरवालोंसे नहीं होती
ओ मैं अपनी 'डायरी' से किया करतीं थी
पर जबसे दोस्तोंकी एन्ट्री हुई है
जो समझाते और समझते भी है
उनसें बात करना काफ़ी आसान हो गया है
तबसे उस डायरीमे दोस्तीके किस्से और
बिताये हुए लम्हें क़ैद होने लगे है
मानों जिंदगी के साथ-साथ उसे भी नई मंज़िल मिली हो
वैसे यादोंके पिटारे काफ़ी भरें पड़े है
कुछ और जुड़ते जानें है.....
उन यादोंको जीना भी है और समेटना भी
आख़री साँस तक का तो पता नहीं
पर आज के पल हमेशा यादगार रहें।
मेरे सारें दोस्तोंको friendship day की ढ़ेर साऱी शुभकामनाएं !
मुझे अकेला रेहना सबसें ज्यादा पसंद था
किताबें मेरे सबसे अच्छे और सच्चे दोस्त हुआ करते थे
पुराणी हो गई अब ये बातें.....
क्योंकि उन किताबोंके साथ-साथ नए रिश्ते जो मिले मुझे
'दोस्ती'.....बिलकुल मेरे किताबोंके ख्वाबों जैसी
किसने किसको चुना ये मायने नहीं रख़ता अब
दोस्ती कितनी गहरी.....ये जानना उतना ज़रूरी नहीं
जितना किसी दोस्त का जिंदगी में होना ही सुकून दे
जो बातें कभी घरवालोंसे नहीं होती
ओ मैं अपनी 'डायरी' से किया करतीं थी
पर जबसे दोस्तोंकी एन्ट्री हुई है
जो समझाते और समझते भी है
उनसें बात करना काफ़ी आसान हो गया है
तबसे उस डायरीमे दोस्तीके किस्से और
बिताये हुए लम्हें क़ैद होने लगे है
मानों जिंदगी के साथ-साथ उसे भी नई मंज़िल मिली हो
वैसे यादोंके पिटारे काफ़ी भरें पड़े है
कुछ और जुड़ते जानें है.....
उन यादोंको जीना भी है और समेटना भी
आख़री साँस तक का तो पता नहीं
पर आज के पल हमेशा यादगार रहें।
मेरे सारें दोस्तोंको friendship day की ढ़ेर साऱी शुभकामनाएं !
(स्वलिखित-by self)
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