रविवार, ४ ऑगस्ट, २०१९

दोस्ती..........

ओ प्यार ही क्या जो ख़ुदको भुला ना दे
ओ ख़ुशी ही क्या जो अपनीसी ना लगे
ओ दोस्ती ही क्या जो खुदगर्ज़ ना हो
दोस्ती का ये रिश्ता सबसे ख़ास जो है
दोस्त का हर पैगाम सलाखोपे है
दोस्त.....तेरे लिए मेरी जान नहीं क़ीमती
मैं हमेंशा तेरे साथ रहूँ.....ये है ज़रूरी

खुदगर्ज़ होना कोई गुनाह नहीं
ओ तो सिखाता है जीना शान से
कोई याद करें या ना करें.....
ज़रूरत हो या ना हो किसीकी.....
हम है तेरे वास्ते.....तेरे हर रास्तें में
सर झुकानेकी ज़रूरत नहीं कभी 
सर तो तेरे आगे हमेशा ऊँचा है

मेरी दीवानी मैं हूँ अगर
तुम भी कहाँ कम हो
देखों ख़ुद को आयनेमें.....मेरी नज़र से
क्या बवाल हो तुम.....
खुदगर्ज़ी भी उसकी मोहताज़ नहीं
तू ज़रूरत मेरी और में आदत तेरी
पर कोई शिक़ायत नहीं.....अगर रूठे कभी

क्या है ना.....दोस्ती की है
कोई लाइफटाइम कमिटमेंट नहीं.....
जो हर हाल में निभाया जाए
पर ग़लतीसे भी....भूल ना जाना कभी
ज़रूरत हो या आदत.....आसानीसे नहीं छूटती
कभी मुँह मोड़ना.....इतना भी ग़लत नहीं
पर तुम एक बार पुकारों.....दौड़े चलें आएंगे।

मैत्री दिन की शुभकामनाएं दोस्तों !!!


(स्वलिखित-by self)

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