मंगळवार, १५ ऑक्टोबर, २०१९

ये वक़्त भी गुज़र जाएगा....

गुस्सा दिमाग़ में भरा पड़ा
और दर्द सिने में दबा था
ये वक़्त भी गुज़र जाएगा
नम आखों का कहना था
बस दिल और दिमाग़ को
लड़ने से कैसे भी रोकना था
था मुश्क़िल पर करना था
किसी के नाराजगी का
बोझ यूँ ही सहते रहना 
अब दर्दनाक हादसा था
ये वक़्त भी गुज़र जाएगा
नम आखों का कहना था


(स्वलिखित-by self)
©️वर्षा_शिदोरे


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